आखिर न्याय कब मिलेगा?

आज के दिनो में जिस प्रकार हमारी बहन, बेटियों की सरेआम इज्जते लूटी जा रही है,उससे तो ऐसा प्रतीत होता है मानो बेटि खिलौना है। जब चाहो उपयोग करो,जहाँ चाहो,जैसे चाहो।लड़किया घर से निकलने में असुलक्षित महसूस कर रही हैं, हर दिन कहीं ना कहीं लड़कियों के साथ रेप किया जा रहा है, हमारी सरकार भी चूपी साधी हुई  इस मामले में। सरकार चुप इसलिए है क्योकिं ऐसे घटिया काम में इनके भी नेता,मंत्री लिप्त रहते है।


हमे ये समझ में नहीं आता है आखिर लोग ऐसा क्यों करते हैं,लोगो को जहाँ इस घटना के विरूध आंदोलन करना चाहिए लेकिन लोग ऐसी घटना को धर्म से जोड़कर राजनिती कर रहे है।लोग इतने बेशर्म हो गए है कि अपने माँ,बहन,बेटी तक को नहीं छोड़ रहे है। बहनबेटियाँ तो घर से बाहर असुरक्षित महसूस कर रही है साथ ही साथ वे घर में भी असू रक्षित महसूस कर रही है,ऐक-ऐक पल वो कस्टमय बिता रही है।उन्हें डर है पता नहीं कौन कब क्या कर देगा।

रोज अखबार के पन्नो को जब पलटता हूँ तो मन उदास हो जाता है ऐसी घटनाएँ को पढ़कर इससे ज्यादा मन तब और उदास होता है जब पता चलता है बाप ने अपनी बेटी के साथ बलात्कार किया।

जरा सोचिए किस हद तक लोगो की मानसिकता बदल गई है। इंसानियत बच्ची ही नहीं, जो बाप ऐसा घिनोना काम करते है वे अपने बच्चो को कैसा संस्कार देते होगें। सरकार को तो महिलाओं की चिन्ता नहीं है बस उन्हें महिलाओं से वोट चाहिए।आखिर बेटियों को न्याय कब मिलेगा।दोषी को ज्लद से ज्लद मौत की सज्जा कब मिलेगी।लोग इज्जत लूटे जा रहे है। ये बेटी हमारी घर की शान है।लोग ऐक बार जरा ऐसे घिनोने काम करने से पहले सोचे कि आखिर क्या दुशमनी है उनका उससे, उसने क्या बिगाड़ी है उनका,उसके घरवालो पे क्या गुजरेगा,उस भाई का कलाई सूना हो जाएगा जिसके कलाई पे रक्षाबंधन के दिन राखी बाधीं जाती है।

सवाल यहीं है आखिर हमारी बहन, बेटीयों को न्याय कब मिलेगा?
– कुमार आयुष
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